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Shri Shikhar Ji Aarti

मधुबन के मंदिरों में , भगवन बस रहा है 
परास प्रभु के दर पर सोना बरस रहा है

अध्यात्मा का यह सोना परस ने खुद ही दिया है
ऋषियों ने इस धरा से निर्वाण पद लिया है
सदियों इस शिखर का स्वर्णिम सुयश रहा है
परस प्रभु के दर पैर सोना बरस रहा है
मधुबन के मंदिरों में भगवन बस रहा है

तिर्थंकरो के तप से पर्वत हुआ यह पवन
कवली रश्मियों का बरसा यहाँ पर सावन
उस ज्ञानामृत के जल से पर्वत हुआ यह पवन 
परस प्रभु के दर पर सोना बरस रहा है 
मधुबन के मंदिरों में

पर्वत के गर्भ में है रतनो का वोह खज़ाना 
जब तक है चाँद सूरज होगा नहीं पुराना 
जन्मा है जैन कुल में तू क्यों तरस रहा है
परस प्रभु के दर पर सोना बरस रहा है
मधुबन के मंदिरों में भगवन बस रहा है

नागो को यह परस राजेंद्रे सम बनाये 
उपसर्ग के समय तोह धर्नेंद्रे बन के आये 
मधुबन के मंदिरों में भगवन बस रहा है
परस प्रभु के दर पर सोना बरुस रहा है 
मधुबन के मंदिरों में भगवन बस रहा है

मधुबन के मंदिरों में , भगवन बस रहा है 
परास प्रभु के दर पैर सोना बरस रहा है

श्री पंच परमेष्टि प्रभु आरती

यह विधि मंगल आरती की जय, पंच परम पद भज सुख लीजे
पहेली आरती श्री जिनराजा, भव दधि पार उतर जिहाजा  I
यह विधि मंगल आरती की जय, पंच परम पद भज सुख लीजे
दूसरी आरती सिद्धन  केरी, सुमरण करत मिटे भव फेरी I
यह विधि मंगल आरती की जय, पंच परम पद भज सुख लीजे
तीजी आरती सूर मुनिंदा, जनम मरन दुःख दूर करिंदा I
यह विधि मंगल आरती की जय, पंच परम पद भज सुख लीजे
चोथी आरती श्री उवझाया, दर्शन देखत पाप पलाया I
यह विधि मंगल आरती की जय, पंच परम पद भज सुख लीजे
पाचवी आरती साधू तिहारी, कुमति विनाशक शिव अधिकारी I
यह विधि मंगल आरती की जय, पंच परम पद भज सुख लीजे
छट्टी ग्यारह प्रतिमा धारी, श्रावक  वंदो आनद करी I
यह विधि मंगल आरती की जय, पंच परम पद भज सुख लीजे
सातवी आरती श्री जिनवाणी, ज्ञानत सुरग मुक्ति सुखदानी I
यह विधि मंगल आरती की जय, पंच परम पद भज सुख लीजे
आठवी आरती श्री बाभुबली स्वामी, करी तपस्या हुए मोख गामी I
यह विधि मंगल आरती की जय, पंच परम पद भज सुख लीजे
जो यह आरती करे करावे, सौ  नर मन  वांछित फल  पावे I
यह विधि मंगल आरती की जय, पंच परम पद भज सुख लीजे
सौने  का दीप कपूर की बाती, जगमग  ज्योति जले सारी राती I
यह विधि मंगल आरती की जय, पंच परम पद भज सुख लीजे
संध्या कर के आरत  की जे, अपनों जनम सफल कर लीजे I
यह विधि मंगल आरती की जय, पंच परम पद भज सुख लीजे